हर डाल पर राज ठाकरे बैठा है........
रेलमंत्रीलालू प्रसाद यादव को मुंबई में छठपूजा करने की चुनौती देकर और सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को सपरिवार गरियाकर शिवसेना का यह पुराना सैनिक पहले भी धृष्टता कर चुका है। और अब रेलवे की परीक्षा देने आए बिहारियों की मारपीट के पीछे उनकी वोट बैंक की गंदी राजनीति और दूषित मानसिकता ही निहित है ।ऐसा करते समय राज ठाकरे और उनके अनुयायी यह भूल जाते हैं कि यदि देश के अन्य हिस्सों में महाराष्ट्र के लोगों को खदेड़ने का सिलसिला शुरु हो गया, तो क्या होगा और इस दौरान होने वाली हिंसा के लिए जवाबदेह कौन होगा? सभी जानते हैं कि महाराष्ट्र के लोग नौकरीपसंद होते हैं और वे देशभर में फैले हैं। यह तो हुई राज की बात।
महाराष्ट्र की घटनाओं के विरोध में बिहार में हिंसक घटनाएं हो रही हैं, सरकारी संपत्ति को नुक्सान पहुंचाया जा रहा है। गुस्से में अपना घर फुंकने वाले कम से कम अच्छे इंसान तो नहीं हो सकते।यदि आप कभी नईदिल्ली के रेलवे स्टेशन पर गए हों, तो आपके पता होगा कि बिहार जाने वाली प्रत्येक रेलगाड़ी की जनरल बोगी में बैठने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगती हैं और इन कतारों को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों को काफी मशक्कत करना पड़ती है। क्या यह दृश्य बिहारियों के खराब छवि पेश नहीं करते। वैसे बिहारियों पर इससे पहले भी निशाने साधे जाते रहे हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने यह कहकर चौंका दिया था कि बिहार व उत्तर प्रदेश के लोगों के कारण प्रदेश की मूलभूत सुविधाएं प्रभावित हो रही हैं। असम के कुछ संगठनों ने भी बिहारियों को खदेड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आखिर बिहारियों के साथ ही ऐसा क्यों होता है और इसके लिए जवाबदेह कौन है? , यह चिंतन का विषय है।
बिहार में इन्फास्ट्रक्चर का अभाव है, उद्योग-धंधे भी बेहतर स्थिति में नहीं है। इस कारण बिहारी युवक रोजगार की तलाश में दीगर प्रदेशों की राह पकड़ते हैं। बड़े-बड़े राजनेता भी इस मूल समस्या का समाधान खोजने की बजाय जोकरगिरी करने और युवाओं को ठाकरे मार्ग के लिए उकसाने में ही व्यस्त हैं। ऐसे हालात में तो बिहारियों के साथ जो आज महाराष्ट्र या असम में हो रहा है, वह किसी और प्रदेश में भी होगा। बेहतर होगा राजनेता मिल-बैठकर प्रदेश के इन्फास्ट्रक्चर को सुधारें और रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराएं। बेरोजगारी से कोई भी प्रदेश या क्षेत्र अछूता नहीं है। ऐसे में रोजगार के अवसर पर पहला अधिकार उस प्रदेश के युवा का ही होना चाहिए। पिछड़े या कमजोर राज्यों के युवाओं के लिए कुछ स्थान आरक्षित किए जा सकते हैं।
Comments
मनोज भाई वहां सिर्फ वे पिटे जिनके हाथ खाली थे, जो कमजोर थे, जो सपने लेकर गए थे. क्या महाराष्ट्र क्या बिहार, पूरा देश फिर से महाराष्ट्र हो रहा है. इंदौर अगली जमीन है. देखते रहिए. करते रहिए हाय हाय और बनाते रहिए बिहार. जब आग लगती है तो खूब चिल्ल पौं होने लगती है. अभी देखिए और कितना जलता है. देवास देखा न. जिंदा जलाया है वहां जिंदा. तौलिए अब सबको एक साथ रखकर. क्या होने वाला है तस्वीर एकदम झकास साफ है.
29 नबंवर नजदीक आहे. मध्यप्रदेश फतह की तैयारी है. इन्हीं लोगों की. वे जीत भी जाएंगे. तय मानिए.
आओ मिल कर लिखें हम एक महाराष्ट्रवाद.