चम्बल के बीहड़ का नाम सामने आते ही आंखों के सामने घूम जाती है लंबी मूंछों और घनी दाढ़ी वाले डकैतों की तस्वीर। क्या यही है चम्बल का सच? शायद नहीं। भले ही चम्बल की माटी ने बागियों (डकैतों) को आश्रय दिया हो, लेकिन उसने ग्वालियर-चम्बल अंचल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को अपने आँचल से लगाए रखा। और माटी में ऐसी तासीर जगाई कि चम्बलराइट्स को सच कहने व सुनने की हिम्मत मिल सके। यदि सच से है आपका भी वास्ता, तो चम्बल के बीहड़ में स्वागत है आपका...।