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Showing posts from February 14, 2010

कहां गई बचपन की वो बातें...?

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बच्चे को बच्चा ही रहने दो, दो-चार किताबें पढ़ लेगा तो हम जैसा हो जाएगा...। याद करो वो दिन जब अपनेपन की आबोहवा में कुछ बातें, कुछ किस्से छुटपन को सहलाया करते थे। चार दिन पहले ही किसी ने धुंधली यादों से पर्दा उठाया और सवाल किया कि क्या आपको याद है- (१) मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है हाथ लगाओ डर जाएगी, बाहर निकालो मर जाएगी। (२) पोशम पा भई पोशम पा, सौ रुपये की घड़ी चुराई अब तो जेल में आना पड़ेगा, जेल की रोटी खाना पड़ेगी जेल का पानी पीना पड़ेगा, थाई-थईया-ठुस्स, मदारी बाबा फुस्स। (३) झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है, काली माई आएगी तुमको उठा ले जाएगी। (४) आज सोमवार है, चूहे को बुखार है चूहा गया डॉक्टर के पास, डॉक्टर ने लगाई सुईं चूहा बोला-उई..उई..उई..। (५) आलू कचालू बेटा कहां गए थे, बंदर की झोपड़ी में सो रहे थे बंदर ने लात मारी रो रहे थे, मम्मी ने पैसा दिया हंस रहे थे। (६) तितली उड़ी बस में चढ़ी, सीट न मिली तो रोने लगी ड्राइवर बोला आजा मेरे पास, तितली बोली-हट बदमाश। (७) चंदा मामा दूर के, पुए पकाए भोर के आप खाएं थाली में, मुन्ने को दे प्याली में