कहां गई बचपन की वो बातें...?

बच्चे को बच्चा ही रहने दो, दो-चार किताबें पढ़ लेगा तो हम जैसा हो जाएगा...। याद करो वो दिन जब अपनेपन की आबोहवा में कुछ बातें, कुछ किस्से छुटपन को सहलाया करते थे। चार दिन पहले ही किसी ने धुंधली यादों से पर्दा उठाया और सवाल किया कि क्या आपको याद है-


(१) मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है

हाथ लगाओ डर जाएगी, बाहर निकालो मर जाएगी।

(२) पोशम पा भई पोशम पा, सौ रुपये की घड़ी चुराई

अब तो जेल में आना पड़ेगा, जेल की रोटी खाना पड़ेगी

जेल का पानी पीना पड़ेगा, थाई-थईया-ठुस्स, मदारी बाबा फुस्स।

(३) झूठ बोलना पाप है नदी किनारे सांप है,

काली माई आएगी तुमको उठा ले जाएगी।

(४) आज सोमवार है, चूहे को बुखार है

चूहा गया डॉक्टर के पास, डॉक्टर ने लगाई सुईं

चूहा बोला-उई..उई..उई..।

(५) आलू कचालू बेटा कहां गए थे, बंदर की झोपड़ी में सो रहे थे

बंदर ने लात मारी रो रहे थे, मम्मी ने पैसा दिया हंस रहे थे।

(६) तितली उड़ी बस में चढ़ी, सीट न मिली तो रोने लगी

ड्राइवर बोला आजा मेरे पास, तितली बोली-हट बदमाश।

(७) चंदा मामा दूर के, पुए पकाए भोर के

आप खाएं थाली में, मुन्ने को दे प्याली में

प्याली गई टूट, मुन्ना गया रूठ।

इस विरासत का कुछ हिस्सा क्या हम कम्प्यूटर-मोबाइल फोन से संपन्न आज के बचपन को सौंप पाए हैं? शायद नहीं।

Comments

Udan Tashtari said…
खूब याद किया.
बचपन की मधुर यादों को खूब याद किया आपने।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
सर आज आपकी इस रचना के झरॊखे से बचपन की बिसरी यादें फिर ताजा हॊ गईं। नन्हें दॊस्तॊं के साथ मुच्ची करके दॊस्ती करना रूठ कर कुट्टी कर लेना। दिन में अक्कड बक्कड खेलना और शाम को विष अम्रत खेलते वक्त किसी नए साथी के आने पर नई घोडी नई चाल बोलना। एक बारगी पूरा बचपन ही याद आ गया।
usi ka parinam hai sir ki... bachpan ab bachpan nahi raha...
bahut suna hai sir apke bare mein or aaj pad kar samj liya....
milne ki pratiksha mein?

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