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Showing posts from August 31, 2008

अपनेराम बागियन के बीच

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जिन भईयन ने उत्साह बढ़ाओ उन्हें अपनेराम की सिंगल राम-राम और जिन भईयन ने अब तक सच को सलाम ना देखो, उन्हें डबल राम-राम। कन्फ्यूज्ड न होऊ भईया। अपनेराम ने एक कहानी पढ़ी हती, बाको सार हम आपऊ ऐ बता देत हैं- एक गांव में एक स्वामी जी पहुंचे। जिन लोगन ने आदर-सत्कार करो उन्हें तो स्वामी जी ने गांव से बाहर जावे को आशीर्वाद दओ और जिन लोगन ने उन पर पत्थर फेंके उन्हें गांव में ही रहवो को आशीर्वाद दओ। स्वामी जी के शिष्य ने जाकी वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि अच्छे लोग बाहर जाएंगे, तो अच्छाईयां फैलाएंगे और बुरे लोग बाहर जाएंगे तो बुराईयां फैलाएंगे। अरे जा इमोशनल ड्रामा में हम तो भूल ही गए कि भईयन से हमने कछु बतावे को वादा करो हतो। तो सुनो,जब हम तीनों (अपनेराम, फोटोग्राफर व टैक्सी ड्राइवर) के आंखन पर बंधी कपड़ा की पट्टी हटाई गई, तो हमने खुद को बड़ी-बड़ी दाड़ी-मूंछों वाले बंदूकधारियों के बीच पाया। कोऊ ने मुंह पर कपड़ा लपेटो हतो थो, तो कोऊ सब्जी-भाजी के इंतजाम में लगो थो और घड़ी के कांटे ने बजा दए थे दिन के पूरे बारह। फर्श पर पसरकर बैठा दस्यु सरदार निर्भय व्हिस्की के घूंट गटककर अपने गले को तर कर रहा था।

अपनेराम पहुंचे चम्बल के बीहड़ में

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अपनेराम जब कंचे, गिल्ली-डंडा खेलत हते, तबही से बड़े-बुजुर्गन से सुनत रहे थे कि चम्बल के बीहड़ में बड़े-बड़े डकैत होत हैं। हमारी मम्मी ने तो न सुलाओ, लेकिन गांव जाते तब हमें बताओ जातो कि जल्दी सो जाओ नहीं तो बागी उठा लै जांगे। शोले फिल्म के ठीक उस डायलॉग की तरह कि सोजा बेटा नहीं तो गब्बर आ जाएगा। खैर, जब होश संभाला तो हमारे मन में बागियन की फोटू कछु ऐसी थी- ललाट पर लंबा सा तिलक, घनी दाढ़ी-मूंछ, कांधे पर बंदूक और बीहड़ों में तेज गति से भागते घो़ड़े। यह फिल्मी छवि थी। बाद में गांव बारेअन ने बता दओ कि चम्बल के बीहड़ में बागियन के पास घोड़ा न पहले रहे, न अबे हैं। पढ़वे-लिखवे को काम शुरू करो, तो हर दूसरे दिना खबर आती कि फलां गांव में बागी आए और रुपैयन के लाने कोऊ उठाकर ले गए, तो कोऊ ये गोली मारकर भगवान के पास भेज दओ। अखबारन में ऐसी खबरें पढ़-पढ़के अपनेराम के मन में आओ कि काहे न बीहड़ में जाकै बागियन ते मिलो जाए। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत पांच राज्यों का मोस्ट वांटेड पांच लाख रुपए के इनामी निर्भय सिंह गुर्जर के नाम का डंका चम्बल में पिछले तीन दशक से बज रहा था। फक्कड़ बाबा के