अपनेराम बागियन के बीच
जिन भईयन ने उत्साह बढ़ाओ उन्हें अपनेराम की सिंगल राम-राम और जिन भईयन ने अब तक सच को सलाम ना देखो, उन्हें डबल राम-राम। कन्फ्यूज्ड न होऊ भईया। अपनेराम ने एक कहानी पढ़ी हती, बाको सार हम आपऊ ऐ बता देत हैं- एक गांव में एक स्वामी जी पहुंचे। जिन लोगन ने आदर-सत्कार करो उन्हें तो स्वामी जी ने गांव से बाहर जावे को आशीर्वाद दओ और जिन लोगन ने उन पर पत्थर फेंके उन्हें गांव में ही रहवो को आशीर्वाद दओ। स्वामी जी के शिष्य ने जाकी वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि अच्छे लोग बाहर जाएंगे, तो अच्छाईयां फैलाएंगे और बुरे लोग बाहर जाएंगे तो बुराईयां फैलाएंगे। अरे जा इमोशनल ड्रामा में हम तो भूल ही गए कि भईयन से हमने कछु बतावे को वादा करो हतो। तो सुनो,जब हम तीनों (अपनेराम, फोटोग्राफर व टैक्सी ड्राइवर) के आंखन पर बंधी कपड़ा की पट्टी हटाई गई, तो हमने खुद को बड़ी-बड़ी दाड़ी-मूंछों वाले बंदूकधारियों के बीच पाया। कोऊ ने मुंह पर कपड़ा लपेटो हतो थो, तो कोऊ सब्जी-भाजी के इंतजाम में लगो थो और घड़ी के कांटे ने बजा दए थे दिन के पूरे बारह। फर्श पर पसरकर बैठा दस्यु सरदार निर्भय व्हिस्की के घूंट गटककर अपने गले को तर कर रहा था।...