कम से कम चम्बल का मान तो बढ़ा
रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड की गत दिवस घोषणा हुई, तो यह जानकार सुखद आश्चर्य हुआ कि एक लाख रुपए के प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड फॉर हिन्दी प्रिंट कैटेगरी के अंतिम तीन नामांकन में अपनेराम का भी नाम था। यह अवार्ड स्थापित पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी को मिला है लेकिन अपनेराम को इससे ही संतोष है कि कम से कम चम्बल के बीहड़ों से घिरे ग्वालियर शहर में पत्रकारिता करने वाले किसी पत्रकार के नाम पर इंडियन एक्सप्रेस समूह के इस सम्मानित पुरस्कार के लिए विचार किया गया। इस खबर की जानकारी लगने के बाद कई शुभचिंतकों के संदेश दूरभाष पर मिले हैं। उन सभी मित्रों का मैं तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं। मेरा विश्वास है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। पहले प्रयास को ही इतनी ऊंचाईयां मिल गईं, चम्बल के मौड़ा के लिए तो यही पुरस्कार है। दैनिक भास्कर में सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर काम करने की जो आजादी हासिल है उससे इन पुरस्कारों की राह और आसान हो जाती है, इसलिए थैंक्स टीम भास्कर। वैसे इसी साल की शुरुआत में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से स्थापित पहला रतनलाल जो...