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Showing posts from September 28, 2008

आलोक जी कर्ज अभी बाकी है..

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खरी-खरी कहने के लिए चम्बल की माटी के लाल आलोक तोमर को अपनेराम की राम-राम। दो बार आलोक जी को जानने-समझने का अवसर मुझे मिला। पहला ग्वालियर के बसंत विहार में रश्मि परिहार के निवास पर दोस्तों की महफिल में और फिर दिल्ली में आपके आवास पर। उनके बारे में औरों से ब हुत कुछ सुना था, वह इन दो मुलाकातों में साफ नहीं हो सका लेकिन इस साक्षात्कार ने काफी हद तक स्पष्ट कर दिया कि आलोक तोमर किस शख्सियत का नाम है। ग्वालियर-चम्बल अंचल ने बहुतेरे प्रतिभाशाली पत्रकार दिए हैं, मगर प्रभाष जोशी जैसे कलम के महारथी की छत्रछाया हर किसी को नहीं मिल पाती। सही मायने में आलोक कुमार सिंह तोमर पतझर को आलोक तोमर बनाने का श्रेय प्रभाष जोशी को जाता है और आपने बेबाकी से इस बात को स्वीकार करके इस महान पत्रकार का मान ही बढ़ाया है। यह चंबल की माटी की ही तासीर है, जिसने जोश-जज्बा और उत्साह के साथ आपको अन्याय के सामने नहीं झुकने का साहस दिया। किसी ने ठीक ही कहा है- जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या खाक जीया करते हैं। निःसंदेह अपनी लेखनी के कारण आप युवा पत्रकारों के प्रेरणास्रोत हैं, इसलिए आवश्यक है कि आप भी प्रभाष जो

अनुपम अहसास पारसमणि का

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भोपाल के रवींद्र भवन में ख्यात पर्यावरणविद् और गांधीवादी अनुपम मिश्र के साथ मंच पर मौजूदगी मेरे लिए किसी सुखद स्वप्न से कम नहीं थी। उनके बारे में जो सुना था, पढ़ा था, उन्हें उससे भी कहीं ज्यादा पाया। आचार-विचार और पहनावे में ऐसी सादगी, जो हर किसी को इस शख्सियत के आगे नत-मस्तक होने पर मजबूर कर दे। इस मंच पर श्री मिश्र को मध्यप्रदेश शासन का शहीद चंद्रशेखर आजाद राष्ट्रीय सम्मान और मुझे पत्रकार रतनलाल जोशी पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान किया गया। गिरते सामाजिक मूल्य और भ्रष्ट्राचार के इस दौर में अनुपम मिश्र किसी पारस मणि से कम नहीं है, जिसके छूनेभर से पत्थर भी सोना बन जाता है। मंच पर उनकी उपस्थित मात्र ने मध्यप्रदेश सरकार के पत्रकारिता पुरस्कार वितरण समारोह की ही गरिमा नहीं बढ़ाई बल्कि पुरस्कार ग्रहण करने वालों का भी मान बढ़ा दिया। अनुपम मिश्र के बारे में आप और अधिक जान सकें, इसके लिए संजय तिवारी द्वारा उन पर लिखित आलेख यहां प्रस्तुत है- अलंकरण और अहंकार से मुक्त अनुपम मिश्र का परिचय देना हो तो प्रख्यात पर्यावरणविद कहकर समेट दिया जाता है. उनके लिए यह परिचय मुझे हमेशा अधूरा लगता है. फिर हमें