दिल और दिमाग में जंग चल रही है। कौन जीतेगा कौन हारेगा, कुछ भी कहना मुश्किल है। दिल जज्बाती हो रहा है। अपने यारों के फोन इन जज्बातों को और हवा दे रहे हैं। जज्बातों का ज्वार यूं ही नहीं उठ रहा। क्योंकि जज्बातों के केंद्र में वो कैप्टन रूपसिंह स्टेडियम है, जिसके मिट्टी-कंकड़ वाले मैदान को समय के साथ हरीतिमा की मखमली चादर ओढ़ते और दूधिया रोशनी में नहाते देखा है। हजारों लोगों की भीड़ में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को चौके-छक्के और गिल्लियां उड़ाते देखा है। २२ जनवरी १९८८ (भारत-वेस्टइंडीज) से लेकर १५ नवंबर २००७ (भारत-पाक) तक ११ वनडे इंटरनेशनल मैचों से सीधा जुड़ाव रहा और अब २४ फरवरी २०१० को बारहवां मैच भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच होने जा रहा है। ऐसे में यार भला अपनेराम को कैसे भूल सकते हैं। यहां बता दें कि ग्वालियर में हुए ११ में से सात मैचों में भारत की विजय पताका लहराई है और पिछले तीन वन डे मैचों से यहां जीत का सिलसिला जारी है। धोनी की युवा टीम जिस अंदाज में प्रतिद्वंद्वियों को धुन रही है, उसने चौथी जीत की आशाओं को भी पंख लगा दिए हैं।