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Showing posts from February 21, 2010

सचिन, सचिन और सचिन

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सचिन के बल्ले से ग्वालियर के कैप्टन रूपसिंह स्टेडियम पर निकली ऐतिहासिक पारी को कवर करने में मीडिया भी पीछे नहीं रहा। पाठकों तक सचिन का यश पहुंचाने के लिए हिन्दी और मराठी के समाचार पत्रों ने कुछ अलग अंदाज में लीक से हटकर करने का प्रयास किया।  

सलाम सचिन रिकॉर्ड तेंदुलकर

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संगीत सम्राट तानसेन जब स्वर साधना करते थे तो रागों से दीपक जला दिया करते थे। उसी नगरी में आज सचिन तेंदुलकर ने ऐतिहासिक पारी खेलकर दिखा दिया कि उनकी क्रिकेट साधना का तप किसी भी रिकॉर्ड को ध्वस्त कर सकता है। सचिन को ग्वालियर का कैप्टन रुपसिंह स्टेडियम हमेशा ही भाया है लेकिन २४ फरवरी २०१० को उनके बल्ले से निकला करिश्मा तरुणाई के दिल-ओ-दिमाग पर अमिट छाप छोड़ गया। स्टेडियम में मौजूद हजारों दर्शकों के लिए सचिन की पारी किसी सपने से कम नहीं थी। किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। हर चौके-छक्के पर वाह-वाह करते दर्शकों को अहसास ही नहीं हुआ कि क्रिकेट का यह जादूगर बॉल-दर-बॉल कब एक ऐसे रिकॉर्ड को छू गया, जो हर बल्लेबाज का सपना होता है। अब जब भी सचिन की इस महान पारी का जिक्र होगा तब इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने हजारों दर्शक अपनी भावी पीढ़ी को फक्र के साथ साझा किया करेंगे। सचिन ने ग्वालियर में अपना पहला वन डे २१ मार्च १९९१ को दक्षिण अफ्रीका के ही खिलाफ खेला। इस मैच में वे कुछ खास नहीं कर पाए और मात्र चार रन के निजी स्कोर पर पवैलियन लौट गए, किन्तु उसके बाद खेले गए आठ मैचों में उनके बल्

आओ फिर लहराएं तिरंगा प्यारा

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दिल और दिमाग में जंग चल रही है। कौन जीतेगा कौन हारेगा, कुछ भी कहना मुश्किल है। दिल जज्बाती हो रहा है। अपने यारों के फोन इन जज्बातों को और हवा दे रहे हैं। जज्बातों का ज्वार यूं ही नहीं उठ रहा। क्योंकि जज्बातों के केंद्र में वो कैप्टन रूपसिंह स्टेडियम है, जिसके मिट्टी-कंकड़ वाले मैदान को समय के साथ हरीतिमा की मखमली चादर ओढ़ते और दूधिया रोशनी में नहाते देखा है। हजारों लोगों की भीड़ में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को चौके-छक्के और गिल्लियां उड़ाते देखा है। २२ जनवरी १९८८ (भारत-वेस्टइंडीज) से लेकर १५ नवंबर २००७ (भारत-पाक) तक ११ वनडे इंटरनेशनल मैचों से सीधा जुड़ाव रहा और अब २४ फरवरी २०१० को बारहवां मैच भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच होने जा रहा है। ऐसे में यार भला अपनेराम को कैसे भूल सकते हैं। यहां बता दें कि ग्वालियर में हुए ११ में से सात मैचों में भारत की विजय पताका लहराई है और पिछले तीन वन डे मैचों से यहां जीत का सिलसिला जारी है। धोनी की युवा टीम जिस अंदाज में प्रतिद्वंद्वियों को धुन रही है, उसने चौथी जीत की आशाओं को भी पंख लगा दिए हैं।