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सचमुच, पापा पास हो गए

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पहाड़ी वादियों की सुंदरता का जादू सिर चढ़कर बोलता है। बच्चों की जिद थी कि इस बार नया साल पहाड़ी वादियों में ही सेलीब्रेट किया जाए। जिद के आगे अपनेराम भी झुक गए। दिल्ली में रहने वाले बचपन के मित्र को तैयार किया और पूरे परिवार के साथ रवाना हो गए पहाड़ी वादियों की ओर। हल्द्वानी से तल्लारामगढ़, नथुआखानद्वारा और फिर वहां से हरतोला। जितना रोमांच पहाड़ी ड्राइव में आया, उससे कहीं अधिक दिल खुश हुआ हरतोला के कॉटेज में। दूर-दूर तक आबादी का नाम-ओ-निशां नहीं। जिस ओर भी नजर दौड़ाओ, बर्फ से लकदक हिमालय के गगनचुंबी पहाड़ ही नजर आते। बच्चे जल्द ही आपस में हिल-मिल गए और देसी-विदेशी खेलों की दुनियां में खो गए। ड्राइव की लंबी थकान के चलते पहली रात कैसे कट गई, पता ही नहीं चला। रात को ही बरसात का सिलसिला शुरु हो गया। सुबह छह बजे बर्फवारी ने दस्तक दे दी। लगातार एक ही गति से बर्फ का गिरना जारी रहा। लगभग चार घंटे में आधा फीट तक बर्फ जमा हो चुकी थी। कॉटेज से जिस ओर भी नजर गई बर्फ की चादर ही नजर आई। सबने जमकर बर्फवारी का आनंद लिया। बच्चों के साथ बड़े भी बच्चे हो गए। बर्फवारी की गति देखकर अंदाज लगाना मुश्किल था