लो आ गए अमन पर दाग लगाने वाले
मुल्ला मुलायम को अपने वोट बैंक की चिंता है, इसलिए उन्होंने अयोध्या पर आए फैसले को एक ही झटके में मुस्लिम समुदाय के साथ ठगी करार दे दिया। यह कहने से भी नहीं चूके कि फैसले में आस्था को कानून व साक्ष्यों से ऊपर रखा गया है। अंगुलियों पर गिने जाने लायक कुछ फिरकापरस्त लोगों ने भी उनके सुर में सुर मिलाया है। सुलह और सदभाव के राह में कांटे बोने का काम करने वाले इन लोगों को लगता है देश का अमन रास नहीं आ रहा। आस्था का आधार ही विश्वास है। आस्था और विश्वास एक दिन में पैदा नहीं होता। बरसों-बरस की तपस्या इसके पीछे होती है। यदि रामलला हिन्दुओं की आस्था और विश्वास का प्रतीक हैं, तो इसमें हर्ज ही क्या है। तीस सितम्बर को फैसले के दिन करोड़ों भारतीयों ने जिस संयम और सदभावना का परिचय दिया है, उससे पूरी दुनिया आश्चर्यचकित है। आस्था पर सवाल उठाने वाले यह लोग भलीभांति जानते हैं कि समाज में उनकी पहचान भी एक विश्वास पर ही टिकी है। माँ ने बता दिया कि फलां तुम्हारा पिता है, तो आपने मान लिया और पिता का नाम स्वीकार भी कर लिया। जो लोग रामलला की आस्था और विश्वास पर सवाल खड़ा कर रहे हैं, हो सकता है यही लोग कल अपनी मा...