सचिन वाकई तुम महान हो..


सचिन तेंदुलकर जितने महान बल्लेबाज हैं, उतने ही अच्छे इंसान भी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में तीस हजार रनों की दहलीज पर खड़े सचिन का यह कहना कि वे पहले भारतीय हैं और मुंबई सबके लिए है, उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो कथित महाराष्ट्रीयन हितों की आड़ में आए दिन विषवमन करते हैं। महाराष्ट्र का जो परिवार ऐसे कृत्यों में संलग्न है उसका मुखिया सठिया चुका है और उनका भतीजा देश के किसी भी पागलखाने के लिए उपयुक्त केस है।
अलबत्ता तो सचिन जैसे खिलाड़ी क्षेत्रवाद, जातिवाद जैसी बुराइयों से कोसों दूर हैं, फिर भी यह कहना गलत नहीं होगा कि सचिन सिर्फ सचिन इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने देश की टीम से, भारत की टीम से क्रिकेट खेला। सोचो यदि सचिन किसी शारदाश्रम, मुम्बई या फिर महाराष्ट्र की टीम से ही क्रिकेट खेल रहे होते तो क्या उनका कद इतना ऊंचा होता? शायद नहीं।
अब आते हैं उस परिवार पर जो महाराष्ट्र के लोगों को अपने ही विचारों से हांकना चाहते हैं। आप गली के कुत्ते के बारे में तो जानते ही होंगे। जब वह अपनी गली में होता है तो बहुत गरियाता है लेकिन जब दूसरी गली में जाता है तो दुम हिलाने लगता है। कमोवेश यही स्थिति इन लोगों की भी है। महाराष्ट्र के बाहर इन लोगों का कोई अस्तित्व नहीं है और महाराष्ट्र के भीतर भी इनके हाल बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना से ज्यादा नहीं है। आज भी उनकी पार्टी की स्थिति एक छोटे क्षेत्रीय दल की ही है। इन कूपमंडुकों को अपनी नेक सलाह तो यही है कि समय रहते सुधर जाओ, वरना आने वाली पीढ़ी याद करने लायक भी नहीं समझेगी।

Comments

SACHIN KE OOPAR SABKO NAAZ HAI ....

PAR YE NETA LOG BAS ZAHAR FAILAANA JAANTE HAIN ... APNA APNA ULLOO SEEDHA KARTE HAIN BAS ..... JANTA BHI BAS PAAGAL BAN JAATI HAI INKE KAHNE PAR .....
kya baat hai sirji itne buzy hone par bi cricket aur blog prem nahi chhut raha..good tabhi to aap aap hai..anyway photo change karne ki badhai..bahut smart lag rahe hai aap..
abdhnagar said…
बॉस, क्रिकेट का शौक बरकरार रहे, सचिन ने सिरफिरे राज ठाकरे के बारे में ठीक ही कहा है। मेरे हिसाब से पूरा ठाकरे परिवार ही इस बीमारी से ग्रस्त है। वह लाइमलाइट में रहने के लिए उल्टे सीधे बयान देता रहता है। लेकिन अब देश के साथ महाराष्ट्र की जनता भी उनके आचरण को भलीभॉति समझ चुकी है। भविष्य में इनकी पार्टियां व इनके लोग राजनीति के पटल से गायब हो जाएंगे।
Anonymous said…
ब्लॉग जगत का घिनौना चेहरा अविनाश

भारतीय ब्लॉगिंग दुनिया के समस्त ब्लॉगरों से एक स्वतंत्र पत्रकार एवं नियमित ब्लॉग पाठक का विनम्र अपील-
संचार की नई विधा ब्लॉग अपनी बात कहने का सबसे प्रभावी माध्यम बन सकता है, परन्तु कुछ कुंठित ब्लॉगरों के कारण आज ब्लॉग व्यक्तिगत कुंठा निकालने का माध्यम बन कर रह गया है | अविनाश (मोहल्ला) एवं यशवंत (भड़ास 4 मीडिया) जैसे कुंठित
ब्लॉगर महज सस्ती लोकप्रियता हेतु इसका प्रयोग कर रहे हैं |बिना तथ्य खोजे अपने ब्लॉग या वेबसाइट पर खबरों को छापना उतना ही बड़ा अपराध है जितना कि बिना गवाही के सजा सुनाना | भाई अविनाश को मैं वर्षों से जानता हूँ - प्रभात खबर के जमाने से | उनकी अब तो आदत बन चुकी है गलत और अधुरी खबरों को अपने ब्लॉग पर पोस्ट करना | और, हो भी क्यूं न, भाई का ब्लॉग जाना भी इसीलिए जाता है|

कल कुछ ब्लॉगर मित्रों से बात चल रही थी कि अविनाश आलोचना सुनने की ताकत नहीं है, तभी तो अपनी व्यकतिगत कुंठा से प्रभावित खबरों पर आने वाली 'कटु प्रतिक्रिया' को मौडेरेट कर देता है | अविनाश जैसे लोग जिस तरह से ब्लॉग विधा का इस्तेमाल कर रहे हैं, निश्चय ही वह दिन दूर नहीं जब ब्लॉग पर भी 'कंटेंट कोड' लगाने की आवश्यकता पड़े | अतः तमाम वेब पत्रकारों से अपील है कि इस तरह की कुंठित मानसिकता वाले ब्लॉगरों तथा मोडरेटरों का बहिष्कार करें, तभी जाकर आम पाठकों का ब्लॉग या वेबसाइट आधारित खबरों पर विश्वास होगा |
मित्रों एक पुरानी कहावत से हम सभी तो अवगत हैं ही –
'एक सड़ी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है', उसी तरह अविनाश जैसे लोग इस पूरी विधा को गंदा कर रहे हैं |

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