सिंधियाजी ने क्यों नहीं डाला वोट
ग्वालियर के जयविलास परिसर में जीवित सिंधिया राजवंश के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के कद्दावर नेता है और विधानसभा चुनाव में अपने अधिक से अधिक समर्थकों को टिकट दिलाने में उन्होंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। जब अपनों को टिकट दिला ही दिया, तो उन्हें जिताने के लिए भाई ज्योतिरादित्य ने गांव-देहात की भी जमकर धूल फांकी। चुनाव किसी भी स्तर का हो एक-एक वोट मायने रखता है, इसलिए वोटों के लिए उन्होंने अंचल की हर सभा में अपने परिवार और जनता से रिश्तों की जमकर दुहाई दी।
दुर्भाग्य देखिए, पब्लिक को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले सिंधिया जी ने मतदान करना तक उचित नहीं समझा। अर्थात, मतदान वाले दिन न तो वे आए और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य। इसका सीधा मतलब यह कि इस क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवार के तीन सालिड वोट हाथ से निकल गए। मतदान न करने में क्या मजबूरी रही, यह तो वो ही जाने लेकिन कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि सिंधियाजी भी और नेताओं की राह पर चल पड़े हैं? यह अलहदा है कि उनकी बुआ सांसद यशोधराराजे सिंधिया ने शिवपुरी और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और राजनाथ सिंह के सलाहकार प्रभात झा ने भी ग्वालियर में आकर अपने मताधिकार का उपयोग किया। इसके विपरीत राज्यसभा सांसद माया सिंह भी इस बार वोट डालने का समय नहीं निकाल पाई।
वैसे ग्वालियर का चुनावी मिजाज इस बार कुछ ऐसा रहा कि कई बड़े नेता खुद के लिए भी वोट नहीं डाल पाए। पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के भांजे और मप्र सरकार के मंत्री अनूप मिश्रा तथा पूर्व सांसद व बीस सूत्री क्रियान्वयन समिति के उपाध्यक्ष जयभान सिंह पवैया का परिवार ग्वालियर दक्षिण क्षेत्र में रहता है लेकिन दोनों भाजपा के टिकट पर ग्वालियर पूर्व व ग्वालियर विस क्षेत्र से चुनाव लड़े, इस कारण उन्हें व उनके परिवार को मजबूरी में दूसरे प्रत्याशी को ही वोट देना पड़ा। पूर्व मंत्री बालेंदु शुक्ल व भाराछासं की प्रदेश अध्यक्ष रश्मि शर्मा को भी इन्हीं हालात का सामना करना पड़ा।
Comments